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अडानी समूह का गोड्डा कोयला बिजली संयंत्र अपने 25 वर्षों के जीवनकाल में बांग्लादेश से क्षमता शुल्क के रूप में 11.01 अरब अमेरिकी डॉलर (108,360.60 करोड़ टका) लेगा। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट (बीडब्ल्यूजीईडी) और ग्रोथवॉच द्वारा सह-प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश क्षमता शुल्क के तौर पर जितने पैसे चुकाएगा, उससे पद्मा नदी पर तीन पुल का निर्माण कर सकता था।
रिपोर्ट के लेखक और बीडब्ल्यूजीईडी के सदस्य सचिव हसन मेहदी ने कहा, "क्षमता शुल्क की राशि कर्णफुली नदी सुरंग के बजट से नौ गुना और ढाका मेट्रो रेल से चार गुना अधिक है।"
रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह प्रति वर्ष क्षमता शुल्क के रूप में 423.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3,657 करोड़ टका) ले सकता है। इससे बांग्लादेश के लोगों को लाभ हो या न हो लेकिन अडानी समूह काफी पैसे बना लेगा।
यह बिजली संयंत्र अगस्त 2022 में चालू होना है। हालांकि, बांग्लादेश तब तक बिजली प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगा जब तक कि एक सक्रिय ट्रांसमिशन लाइन स्थापित नहीं किया जाता है।
दिसंबर 2022 तक ट्रांसमिशन लाइन बनाने की योजना है। बांग्लादेश को केवल चार महीनों में क्षमता शुल्क के तौर पर 141.10 मिलियन अमेरिकी डॉलर (बीडीटी 1,219.10 करोड़) का भुगतान करना होगा।
रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार, गोड्डा बिजली संयंत्र से बिजली की लागत कम से कम 9.09 टका प्रति किलोवॉट होगी, जो भारत में अन्य आयातित बिजली की तुलना में 56% अधिक और सौर ऊर्जा से 196% अधिक है।
इसके अलावा अडानी समूह के गोड्डा बिजली संयंत्र से बिजली उत्पादन की लागत हर साल 5.5% बढ़ेगी। जबकि सौर ऊर्जा की लागत 10% की वार्षिक दर से घटेगी।
हसन मेहदी ने कहा, “यह बिजली संयंत्र बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा बोझ होगा। इसका कोई मतलब नहीं है भारत से कोयला से बनी बिजली आयात करे, वह भी तब जब बांग्लादेश में अब 60% अधिक क्षमता दिख रही है।”
रिपोर्ट से पता चलता है कि पर्यावरण और सामाजिक लागत (जैसे अस्पताल में भर्ती, कृषि, खतरनाक वायु प्रदूषकों और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में मत्स्य पालन) प्रति वर्ष 729.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर (5,569.34 करोड़ रुपये) और अपने जीवनकाल में 24.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर (188,708.29 करोड़ रुपये) है।
हालांकि, पर्यावरण और सामाजिक लागत का भुगतान करने के लिए प्रायोजक कंपनी अडानी पावर उत्तरदायी है।
बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) ने सीमा पार बिजली व्यापार व्यवस्था के तहत गोड्डा कोल पावर प्लांट से 1,496 मेगावॉट बिजली लेने के लिए नवंबर 2017 में अडानी समूह के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। बीपीडीबी क्षमता शुल्क के रूप में 0.038 अमेरिकी डॉलर (3.26 बांग्लादेशी टका) प्रति किलोवॉट का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ। यह दर बांग्लादेश में किसी भी अन्य बिजली संयंत्र से अधिक है।
समझौते के बाद अडानी समूह ने झारखंड में स्थानीय किसानों से उनकी इच्छा के विरुद्ध और उचित मुआवजा दिए बिना 1,255 एकड़ जमीन ले ली। कंपनी ने बाहुबलियों और कानून लागू कराने वाली एजेंसियों का उपयोग करके गरीब भूस्वामियों को भी प्रताड़ित किया।
यह बिजली संयंत्र अपने जीवनकाल में औसतन 221.1 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर सकता है। सालाना उत्सर्जन 9.35 मिलियन टन होने का अनुमान है। दुनिया में भारत पांचवां सबसे प्रदूषित और तीसरा सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करने वाला देश है।
भारत सरकार ने 2050 के बजाय 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का वचन दिया है। वैश्विक समुदाय द्वारा इसकी अत्यधिक आलोचना की जाती है। यह पावर प्लांट भारत की पहचान जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में उचित कदम नहीं उठाने वाले देश की बनाएगा।
रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर विचार करते हुए दोनों सरकारों को मौजूदा समझौते को रद्द करने और पेरिस समझौते और ग्लासगो प्रतिबद्धताओं के अनुरूप अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति के लिए इसे बदलने के लिए एक संयुक्त समिति बनानी चाहिए।
कोयला बिजली संयंत्र को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से पहले सरकार को गोड्डा कोयला बिजली संयंत्र पर नो इलेक्ट्रिसिटी नो पे पॉलिसी लागू करनी चाहिए और पड़ोसी देशों से बिजली सहित किसी भी वस्तु का आयात करने पर उत्सर्जन मानक और मानवाधिकार मानक अपनाने चाहिए।
रिपोर्ट के सह-लेखक और ग्रोथवॉच, इंडिया के समन्वयक विद्या दिनकर ने कहा, ''बांग्लादेश सरकार को किसी भी जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली का आयात करना बंद कर देना चाहिए और पड़ोसी देशों से केवल अक्षय ऊर्जा आयात करने के लिए सख्त रुख अपनाना चाहिए। यह मुजीब के जलवायु समृद्धि योजना के भी अनुरूप होगा।''
रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह को यह निर्देश दिया जाए कि 2025 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से कम से कम 15% बिजली और 2030 तक 30% बिजली की आपूर्ति करे। यह सतत विकास लक्ष्यों और मुजीब के जलवायु समृद्धि योजना के अनुरूप होगा।
बीडब्ल्यूजीईडी के संयोजक और ढाका विश्वविद्यालय में विकास अध्ययन विभाग के प्रोफेसर डॉ. काजी मारुफुल इस्लाम ने कहा, "ऊर्जा सुरक्षा, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए, इस प्रकार के समझौतों को रद्द करने और बांग्लादेश में ही अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन की व्यवस्था बनाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।"
संपर्क
हसन मेहदी
सदस्य सचिव, बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेब्ट (बीडब्ल्यूजीईडी)
ईमेल: bwged.bd@gmail.com
विद्या दिनकर
समन्वयक, ग्रोथवॉच
ईमेल: growthwatch.in@gmail.com